सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। उन्हीं में से एक शनिवार का दिन कर्म और न्याय के देवता शनिदेव को समर्पित है। शनि देव को प्रसन्न करने के लिए और उनकी कृपा पाने के लिए प्रत्येक शनिवार शनिदेव की आरती करनी चाहिए। आइए पढ़ते हैं सम्पूर्ण शनि देव की आरती:-
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शनि देव की आरती
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥॥जय जय श्री शनि देव...॥
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥॥जय जय श्री शनि देव...॥
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥॥जय जय श्री शनि देव...॥
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥॥जय जय श्री शनि देव...॥
॥जय जय श्री शनि देव...॥
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी॥
॥जय जय श्री शनि देव...॥
Jai Jai Shri Shani Dev Bhaktan Hitkari ।
Shani Dev Ji ki Aarti lyrics in english
Suraj Ke Putra Prabhu Chaya Mehatari ॥
॥ Jai Jai Shri Shani...॥
Nilamber Dhar Nath Gaj Ki Aswari ॥Shyam Ank Vakra Drisht Chaturbhurja Dhari ।
॥ Jai Jai Shri Shani...॥
Krit Mukut Sheesh Sahej Dipat Hain Lilari ।
Muktan Ki Mala Gale Shobhit Balihari ॥॥ Jai Jai Shri Shani...॥
Modak Mishtaan Pan Chadhat Hain Supari ।
Loha, Til, Urad Mahishi Ati Pyari ॥॥ Jai Jai Shri Shani...॥
॥ Jai Jai Shri Shani...॥
॥ Jai Jai Shri Shani...॥
Dev Danuj Rishi Muni Surat Nar Nari ।
Vishwanath Dharat Dhayan Sharan Hain Tumhari ॥Jai Jai Shri Shani Dev Bhaktan Hitkari ।
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